भाव लिखने हैं
फूल बोने हैं
भले कांटे उगें बागों में,
जोड़ दें रिश्ते सभी
नेह के धागों में।
भाव लिखने हैं
भले बेसुरे ही क्यों न हों,
जिसको भायेंगे वही
बांध लेगा रागों में।
खोजने हैं जो
कहीं खो गए हैं बागों में
खोजने जायेंगे तो
खोज लेंगे लाखों में।
बहुत सुंदर।
बहुत धन्यवाद
अतिसुंदर भाव
सादर धन्यवाद
भाव लिखने हैं
भले बेसुरे ही क्यों न हों,
जिसको भायेंगे वही
बांध लेगा रागों में।
…… भावों में ही तो सब कुछ है.. कवि सतीश जी की एकदम सच्ची प्रस्तुति
इस सुन्दर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु हार्दिक धन्यवाद