मानव मूल्यों का ह्रास
बेंचकर सोना-चाँदी
पीने चले अंग्रेजी देखो
मानव के पतन का ये
सुंदर दृश्य देखो
दिन भर करें मजूरी
रात में पीकर टुंन हैं देखो
हिन्दू हो या हो मुस्लिम
सब बैठे मयखाने में देखो
दारू के दो पैग लगाकर
पी लेते हैं जैसे अमृत देखो
कहाँ जा रही मानवता
मानव मूल्यों का होता ह्रास देखो…
कुछ लोगों के जीवन का कड़वा सत्य
धन्यवाद आपका
कवि प्रज्ञा जी की लेखनी इस कविता में बहुत ही प्रखरता से चली है। बहुत खूब।
Thanks
बहुत खूब
Thanks