मृत्योपरांत स्मरण
शीर्षक – मृत्योपरांत स्मरण
(एक बेटी के भाव अपने पिता की मृत्यु पर )
जिसने हाथ पकड़कर चलना सिखाया
आज साथ छोड़ कर जा रहा है वो…
गिरकर सम्भलना सिखाया जिसने
आज फिर उठने से कतरा रहा है वो
जिसने हर एक को बनाया
आज टूटे जा रहा है वो
ठहरना सिखाया जिसने
आज चले जा रहा है वो
पढ़ लेता हैं जो मन की बात को
आज ज़ुबा से लफ्ज़ बयां ना कर पा रहा हैं वो
जिसने चेहरे से ना झलकने दिया गम कभी
आज आँसुओ की बारिश में भिगा रहा है वो
मन के कल्पित भावों को सुनहरा कहा जिसने
इसे भरम बता रहा है वो
जिसने हिफाज़त की हैं मेरी रखवाला बनकर
आज किस रब के हवाले
मुझे छोड़कर जा रहा हैं वो ।
राजनंदिनी रावत
ब्यावर,राजस्थान
Very nice
वाह
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👏👏
भारतीय अनमोल पंक्तियां