‘मेरे चाँद की मुस्कान’
बहुत दिनों बाद देखा
आज मैंने चाँद
मुस्कुरा रहा था,
लग रहा था खुश था !
आँखों में थी उसकी बदमाशियाँ
होंठों पर सजी थी खामोशियाँ
एक अर्से बाद
उसका दीदार हुआ
मुझे यूँ लगा के नया जनम हुआ
तरस गई हूँ मैं उसके दीदार के लिए
मन्नतें माँगती हूँ मैं उसके प्यार के लिए…
अतिसुंदर
वाह बहुत खूब लाजवाब अभिव्यक्ति
बहुत सुंदर रचना
लाजवाब
बहुत खूब
सुन्दर