मोबाइल चलने लगा
इन्सान की रफ्तार थम गई,
और मोबाइल चलने लगा।
मोबाइल के सहारे ही,
कुछ वक्त कटने लगा।
बात करनी हो किसी से,
तो मोबाइल काम आया।
आजकल इसके बिना,
ना किसी ने चैन पाया।
जा नहीं सकते कहीं भी,
अब अपनी इच्छा से हम।
कोरोना ने आतंक मचाया,
हे प्रभु कैसा समय है आया॥
_____✍गीता
इन्सान की रफ्तार थम गई और मोबाइल चलने लगा उत्तम अभिव्यक्ति गीता जी
बहुत-बहुत धन्यवाद एकता जी
इन्सान की रफ्तार थम गई,
और मोबाइल चलने लगा।
मोबाइल के सहारे ही,
कुछ वक्त कटने लगा।
बात करनी हो किसी से,
—– कवि गीता जी की यथार्थपरक रचना। भाषा व शिल्प दोनों ही उत्तम हैं।
प्रोत्साहन देती हुई इस समीक्षा हेतु हार्दिक आभार सतीश जी
बहुत खूब