राही
राही अंजाना है कहीं अंजाना ही रह ना जाए,
ज़िन्दगी के इस जटिल सफर में कहीं बेमाना ही रह ना जाए,
उठाते हैं कुछ अपने ही उंगलियां अपनी,
कहकर के राही क्या किया तुमने,
कहीं देख कर उठती उंगलियां खुद पर,
“राही” भीड़ में शातिरों की कही काफ़िर ही रह ना जाए॥
राही (अंजाना)
bahut sundar rahi ji
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lajabaab
Dhnywaad
Gajab
Dhnywaad