राह में रोड़े
ए दोस्त सोचो,अगर राह में रोड़े न होते।
जीवन के परिभाषा, हम कैसे समझ पाते।।
यही रोड़े सभी को जीवन धारा बदल दिया।
वरना संसार के इस सैलाब में हम कहाँ होते।।
ठोकर पे ठोकर खा के भी हम कब संभल पाए।
काश हम दुनिया को राह के रोड़े से तौल पाते।।
सिखा तो ठोकर लगाने वाले रोङे भी जाते हैं
बशर्ते हसरत हमारी सीखने की हो
धन्यवाद।
बहुत खूब, अति सुन्दर,
धन्यवाद पांडे जी।
Sunder
शुक्रिया सर।
राह के रोड़े ने बहुत कुछ सिखा दिया,
ज़िन्दगी की राहें आसां नहीं ,ये दिखा दिया।
धन्यवाद गीता जी।