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फ़िर बतलाओ जश्न मनाऊँ मैं कैसी आजादी का

आतंकी की महिमा मंडित मंदिर और शिवाले खंडित पशु प्रेमी की होड़ है फ़िर भी बोटी चाट रहे हैं पंडित भ्रष्टों को मिलती है गोदी…

शोक-ए-हिज्र

शोक-ए-हिज्र1 करूँ या फिर आज जश्न-ए-वस्ल2 करूँ उनके पलभर के आने-जाने में, जिंदगीभर का रसद3 था।   1. विरह का दुख; 2. मिलन का उत्सव;…

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