सहरे में प्रियतम…

कभी फुर्सत मिले तो
हमको भी तुम याद कर लेना
भले झूँठी ही हो आहें
मगर एक आह भर लेना।

हम भी हैं तुम्हारी राह के
एक मुरझाए हुए से पुष्प,
जब कभी हो अकेले तुम
मुझे आवाज़ दे देना।

वो जो आज है तेरा
वही कल भी तुम्हारा था
कभी देखा था जो सपना
वो जन्नत से भी प्यारा था।

आज सजने लगे हो तुम
किसी अनजान की खातिर
कभी मेरा ये चेहरा
तुमको कितना प्यारा था।

हमारे पास तो बस गीत हैं
और आवाज की सरगम
तुम्हारे पास है हमदर्द
हमारे पास सारे गम।

ये कैसी है परीक्षा और
ये कैसी घड़ी आई
तुम्हारी शादी में रहूँगी पर
दुल्हन बन नहीं पाई।😭😭

Related Articles

दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34

जो तुम चिर प्रतीक्षित  सहचर  मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष  तुम्हे  होगा  निश्चय  ही प्रियकर  बात बताता हूँ। तुमसे  पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…

Responses

New Report

Close