हाँथों में लेकर थाल
हाँथों में लेकर थाल
मेरी इस थाल में भरे गुलाल
लगाने आई हूँ,
नजरों से नजर मिलाकर
तुझे छू कर तुझमे समा कर
कुछ इस तरह से होली आज
मनाने आई हूँ।
मेरे प्रियतम मेरे मनमीत
तेरे दिल में मेरी प्रीत
जागने आई हूँ।
यूँ हवा में उड़ता रंग
मैं अपने पिया के संग
ये होली का त्योहार मनाने आई हूँ।।
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