हे भक्त-वत्सल हे रघुनंदन

संगीत सहित

हे भक्त-वत्सल हे रघुनंदन
काटो भव-बंधन मेरे
हे भक्त-वत्सल हे रघुनंदन
काटो भव-बंधन मेरे
राम तुम्हीं हो भव-भय हरन वाले — 2 बार गायें
काटो भव-बंधन मेरे
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हे भक्त-वत्सल हे रघुनंदन
काटो भव-बंधन मेरे ।।1।।
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गणिका उद्धारक तुम्हीं हो प्रभु जी
अजामिल को भव-पार प्रभु तुमने ही लगाई
मेरा भी प्रभु जी शरनागत कर लो स्वीकार -2 बार गायें ।।
हम भी है प्रभु जी तेरे चरणों के दास
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हे भक्त-वत्सल हे रघुनंदन
काटो भव-बंधन मेरे ।।2।।
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पतितों की जीवन-नईया प्रभु राम तुम ही संभाले
इसीलिए सारी दुनिया तुम्हें पतितपावन बुलाते
मेरी भी नईया पार लगो दो रघुनाथ
सारी सृष्टि आपसे यही गुहार लगाये-2 बार गायें
काटो भव-बंधन मेरे
राम तुम्हीं हो भव- भय हरने वाले
काटो भव-बंधन मेरे ।।
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हे भक्त-वत्सल हे रघुनंदन
काटो भव-बंधन मेरे ।।3।।
कवि विकास कुमार

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