होली
हमें नहीं पता तुम्हें नहीं पता,
तू क्यों है लापता खुशनुमा लम्हा।
क्यों सूख रहा है वह हरा दरख़्त,
किसे मिलकर सींचा था पहली दफा।
वो यादें गुमसुम है जहा बोली थी हमने प्यार की बोली,
उस फिजा की रंगत उड़ी-उड़ी जा खेली थी रंगरेजिया तेरे संग होली।
निमिषा सिंघल
Good
💞💞
,👌👌
Thank you
बहुत खूब
🙏🙏🙏🙏
Nice
🌺🌺🙏🙏
Very nice