दूर-दूर का रहना…
तेरा दूर-दूर का रहना ले जाये
मोर चैना
तेरी रहा तकै है अंखिया
ताने देती घर गालिया
तेरी राह तकै हुए बरसो
अब छोड़ भी कल परसो
तेरी सोच मे बीती रैना
मोर लोटा अब तू चैना
तेरा दूर-दूर का रहना ले जाये
मोर चैना !
कब तक रहु मैं ऐसे
कब तक राहु मैं वैसे
इक पल मे ये सोचू
इक पल मे वो सोचू
तू ज्यादा है छलिया या
ज्यादा है मनबसिया
तेरा दूर-दूर का रहना ले जाये
मोर चैना !
कभी तुझ पे दिल हारु
कभी तुझ से हारु
छोड़ हार जीत का पहरा
अब तू दिखा भी दे चेहरा
तेरा दूर-दूर का रहना ले जाये
मोर चैना !
nice one
Good
सुन्दर रचना