Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
Related Articles
शायरी संग्रह भाग 2 ।।
हमने वहीं लिखा, जो हमने देखा, समझा, जाना, हमपे बीता ।। शायर विकास कुमार 1. खामोश थे, खामोश हैं और खामोश ही रहेंगे तेरी जहां…
मैं हूँ नीर
मैं हूँ नीर, आज की समस्या गंभीर मैं सुनाने को अपनी मनोवेदना हूँ बहुत अधीर , मैं हूँ नीर जब मैं निकली श्री शिव की…
पुरानी किताबो के पन्ने पलटकर देखो
पुरानी किताबो के पन्ने पलटकर देखो इश्क़ की गहराइयो मैं खुद उतरकर देखो इश्क़ से गहरा समंदर भी नही बस एक बार आज़माकर देखो चंद…
आंगन के पाथर
पैर जैसे ही पड़े आंगन में बरसों बाद एक एक पाथर मचल उठा, सुबक पड़ा उसके आने के अहसास से ये तो वही पैर थे…
फ़ैशन
फ़ैशन की चरम तो देखो। लोगों की भरम तो देखो। कांच की अलमारी में बंद, ऊँची कीमत बढ़ा रही शान। तार-तार सा हुआ चिथड़ा, टंगा…
वाह , सुन्दर, बधाई …!
Bahut Dhanyawad 🙂
वाह
Uttam