हिन्द की आभूषण

नैतिकता हिन्द की आभूषण है,
परिचायक इसके प्रभु रामजी हैं l
सीतामैया अग्नि परीक्षा दी l
कैसी ये नैतिकता थी ?
स्वार्थरहित पीड़ा थी l
मैया में सभ्य समाज की लालसा थी l
यह लीला स्वच्छल धर्म की नींव थी l
ये तो नैतिकता की परीकाष्ठा थी ll
नैतिकता हिन्द की आभूषण है,
श्रीकृष्ण इसके परिचायक है l
युद्ध में अर्जुन का मार्ग दर्शन l
बहुतो के लिए अनैतिकता था l
पर ये नैतिकता का बर्जस्व था l
अधर्म पर विजय का मार्ग था l
धर्म का ओजसपूर्ण वाणी था l
अंधेरे पर रोशनी का प्रहार था ll
नैतिकता हिन्द की आभूषण है,
परिचायक कर्मवीर है l
नैतिकता हमें कर्मठ बनाता l
आलस्य की जगह नहीं होता l
इसमें स्वाभिमान है बसता l
कर्मवीर नैतिकता से जीता l
नैतिकता सभ्य समाज का आधार होता l
निजी पीड़ा का अस्तित्व नहीं होता ll
नैतिकता हिन्द की आभूषण है,
परिचायक कर्मवीर है l
नैतिकता हर युग में सर्वश्रेष्ठ है l
नैतिकता को हमने भूला है l
नैतिकता समाज की जरूरत है l
चलो नैतिकता को  प्रखर बनाते l
नैतिकता की शाक बनाएं l
नैतिकता से दुनिया को झुकाएं ll

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