कविता- हमारा अभिमान |
कविता- हमारा अभिमान |
नहीं बिकेगा देश मे चीन का सामान |
रहेगा हमारा समान हमारा अभिमान |
लेकर धन हमसे हमे आँख दिखाता |
घुसकर जमाईं हमारी हमे धमकाता |
बनेगा आत्मनिर्भर हमारा हिनूस्तान |
दिया धोखा जवानो पर आघात किया|
तोड़ वर्षो की संधि विश्वासघात किया|
निहत्थे जवानो से किया घमासान |
अपने पड़ोसी हर देश रिस्ता बिगाड़ा है |
मौका पा गैरो जमी चीनी झण्डा गाड़ा है |
धूल चटाएँगे चिनियों हिन्द के जवान |
करो बहिस्कार सब चीनी सामानो का |
फेर दो पानी सब दुश्मन अरमानो का |
जाये न जाया जवानो का बलिदान |
जल जमीन आकाश भारत पाँव पसारा |
बीर जवानो बज रहा जग खूब नगाड़ा |
नहीं भूलेगे धोखा तेरा चीन बेईमान |
श्याम कुँवर भारती (राजभर )
कवि/लेखक /समाजसेवी
बोकारो झारखंड ,मोब 9955509286
Correct
thank you pandit ji
Good
nice
वाह
त्रुटियाँ हैं पर भाव अच्छे हैं
कवि को अपने देश पर गर्व है और यह उसकी कविता से नजर आ रहा है