Categories: मुक्तक
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रात तूं कहां रह जाती
अकसर ये ख्याल उठते जेहन में रात तूं किधर ठहर जाती पलक बिछाए दिवस तेरे लिए तूं इतनी देर से क्यूं आती।। थक गये सब…
एक सावन ऐसा भी (कहानी)
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दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
वाह वाह
बहुत खूब
बहुत बहुत आभार शास्त्री जी
अतिसुन्दर वाह
बहुत-बहुत धन्यवाद सर
पर काले बादल तो वर्षा का प्रतीक हैं,
प्रत्येक काली वस्तु बुरी नहीं होती है।
श्यामपट्ट(black board) भी काला ही होता है
जिस पर हम सभी ने शिक्षा ग्रहण की है।
वैसे मुसीबतों से लड़ने का हौसला होना चाहिए।
सुंदर भाव।
इतनी अच्छी समीक्षा करने के लिए गीता मैम बहुत-बहुत आभार आपका, मगर सबका पढ़ने का या फिर लिखने का नजरिया अलग अलग होता है
प्रतिक,उपमान और व्यंजना शक्ति मेरी कविताओं का अहम हिस्सा होती हैं और नए नए प्रतीक और उपमा अलंकार मुझे बहुत पसंद है इन पंक्तियों में कवि ने जिंदगी से परेशान होते हुए यह भाव प्रकट किए हैं निराशा में इंसान को सब कुछ दुखदाई दिखाई देता है उसने आसमान को दर्द का प्रतीक बादलों को मुसीबत का प्रतीक रॉकेट को हौसलों का प्रतीक माना है , मतलब निराशा में आशा के भाव प्रस्तुत करने की छोटी सी कोशिश की है🙏😊
काला रंग तो मैडम जी मेरा भी है बात काले रंग की नहीं थी बस कोशिश भावों को प्रकट करने की थी
🙏
बहुत सुंदर मोहन जी। सुस्वागतम😊
सुन्दर शीर्षक उत्तम उपमा
बहुत बहुत धन्यवाद 🙏 जी
सुन्दर पंक्तियां
धन्यवाद जी