भोजपुरी गजल- जान जिआन हो जाई |

भोजपुरी गजल- जान जिआन हो जाई |
दिल लगाके जनी ठुकरावा जान जिआन हो जाई |
मनके बात भइबो ना कइल राती बिहान हो जाई |
चार दिन के जिनगी के केवन जान बा ठिकाना |
आँख मिला के मुंह मोड़बू दिल लहूलुहान हो जाई |
न जाने केवना मोड़ पर धई लेई कोरोना के जाने |
लहरत खेत के ना सिंचाई नुकसान किसान हो जाई |
गगरी भरी त छलकबे करी रुकले ना रुकी कबों |
मोहब्बत के जाम छलक दिल घाव नीसान हो जाई |
कसूर अँखियन के सजा दिल के ना दिहल जाला |
साँच आशिक दगाबाजी मे पीस के पिसान हो जाई |
बिना तोहरे जियब कईसे पतीयाला साँच कहिला |
सनम भारती जान संग बिधना के बिधान हो जाई |

श्याम कुँवर भारती (राजभर)
कवि /लेखक /गीतकार /समाजसेवी
बोकारो झारखंड मोब -9955509286

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Responses

  1. भोजपुरी ग़ज़ल की कमी, आज भी हमारे बीच बहुत ही कम है। रचना बहुत ही सुन्दर है। भोजपुरी ग़ज़ल को हमारे समाज में आज भी अपना स्थान नहीं मिल पाया है।

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