कुछ अलग ही दिख रहा हूँ
कुछ अलग ही दिख रहा हूँ
पानी मे उठता बुलबुला
फूट जाता है अचानक
सत्य को मन मत भुला।
सोचता है आदमी
मैं सौ बरस जीवित रहूँगा,
और कैसे भी रहें,
पर मैं सदा ऐसा रहूँगा।
इस तरह माया के वश में
सच को देता है भुला
एक दिन देता है चल
छोड़ जाता है रुला।
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