शादी की एलबम
तीन साल का बिट्टू मेरा मुझसे था नाराज़,
मैंने पूछा क्या हुआ है, गुमसुम क्यूं हो आज।
बोला, मैं आपको अपनी शादी में नहीं बुलाऊंगा,
हंसी रोक कर मैंने पूछा, क्या हुआ बताओ ना ।
मैं सारी एलबम देख के आया,
मेरा फोटो कहीं नहीं पाया ।
आपने मुझे अपनी शादी में नहीं बुलाया,
इसीलिए मुझे गुस्सा आया ।
ओह! इसलिए तुमने मुंह फुलाया,
हां, सब आए बस मुझे ही भुलाया ।
मैं डरने का नाटक कर बोली…
अरे, ले के गए थे बेटा, पर तू तब था थोड़ा और छोटा।
मैंने डरते – डरते एलबम खोली,
एक छोटे बच्चे को दिखा के बोली..
अरे! ये तो बिट्टू हंस रहा है,
मामा की गोदी में है, कितना प्यारा लग रहा है ।
बिट्टू को हो गया विश्वास,
हे भगवान, आई मेरी सांस में सांस ।।
झूठ सिखाती मम्मी देखो,
बच्चा कैसे सच बोले|
हिम्मत करके सच बोलो,
सौ झूठ छिपे गर माँ सच बोले
बहुत अच्छी कविता आपकी
इतना सच कैसे बतलाएं
मां , बच्चों को बहलाए। यशोदा मां भी कान्हा को कटोरी में पानी डाल के चंद्र खिलौना देती थी🙂।बच्चों को बहलाना पड़ता है,वरना ये मासूम जीव रोते हैं और मम्मी को भी रुलाते हैं।…
B
बहुत बहुत धन्यवाद आपका 🙏
आपकी लेखनी अदभुत है। वाह वाह
बहुत बहुत शुक्रिया जी 🙏।आप वास्तव में बहुत उत्साह बढ़ाते हैं।
Very nice, आपकी बात ही निराली है
अति, अतिसुंदर भाव
बहुत बहुत धन्यवाद 🙏
बहुत बहुत शुक्रिया आपका चंद्रा जी 🙏
बहुत ही शानदार, waaah
बहुत बहुत धन्यवाद आपका 🙏
बच्चे की मासूमियत और भोलेपन को दर्शाती बेहद सुंदर रचना👏👏👏
भाव समझने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया प्रिया जी 🙏
बहुत सुंदर
धन्यवाद जी 🙏🙏
अतिसुंदर
बहुत बहुत धन्यवाद जी 🙏
बहुत सुंदर
बहुत बहुत धन्यवाद जी 🙏
अतिसुन्दर
Thank you very much पीयूष जी 🙏