पीपल का वृक्ष
कविता -पीपल का वृक्ष
—————————-
जीवन जीने का आधार क्या है,
हर धर्मों का सार क्या है,
मानव क्या पाता है,
जीवन में क्या खोता है|
वृक्ष लगाओ संदेश मिला है,
रोग मिटेंगे, वैज्ञानिकों ने बताया है|
मंदिर की सुंदरता बढती है
जब पीपल नीम की छांव मिले,
आओ वृक्ष लगाकर उपकार करें,
भारत मां का सिंगार करें|
गेंदा, गुड़हल और गुलाब,
खिले चमेली सुंदर बाग|
देव शरण कैसे जाएं,
कहां से बेल के पत्ते लाएं|
भवन बने हैं चारों ओर,
वृक्ष नहीं है एक भी ओर|
बढ़ई से पूछो,
हमें किन किन कामों में लाया है|
ताजमहल हो ,या लाल किला-
या मस्जिद, रावण, राम की मंदिर हो,
खिड़की दरवाजा चौखट किस से बनता है?
कहे ऋषि अब कृपा करो,
गगन व धरा पर दया करो|
शोध करो विकास करो,
जीवों पर अब दया करो|
सभी धर्मों के लोग सुनो
पीपल का वृक्ष लगाओ
मुफ्त में 24 घंटे ऑक्सीजन पाओ,
——————————————–
**✍️ऋषि कुमार ‘प्रभाकर’——-
अतिसुंदर भाव अतिसुंदर रचना शतप्रतिशत यथार्थ वर्तमानकालिक, समाज में बहुत जरूरत है वृक्षारोपन की।
धन्यवाद सर आपका
समीक्षा के लिए
पीपल के वृक्ष के वृक्ष पर बहुत सुंदर कविता है। एक यही वृक्ष ऐसा होता है जो रात में भी ऑक्सीजन छोड़ता है। अति सुंदर रचना
बहुत बहुत धन्यवाद
शोध करो विकास करो,
जीवों पर अब दया करो|”
——– कवि ऋषि जी की सुन्दर सोच को सामने लाती सुन्दर कविता है यह। उन्होंने अपनी कविता के माध्यम से सीधा संवाद किया है। उनकी कविता हृदय से निकली संवेदना प्रतीत होती है।
बहुत खूब
धन्यवाद सर, यूं आपका आशीर्वाद बना रहे मुझ पर,
शुभ प्रभात