लापरवाही – व्यंग्य
लाख समझाने पर भी, गली-बाजार में भीड़ करें,
बिना मास्क खुल्लमखुल्ला सबसे वार्तालाप करें।
सेनेटाइजर का इस्तेमाल, हाथ धोना भी बंद करें,
आओ साथी हम भी मरें, औरों का इंतजाम करें।।
बार-बार हाथ धो कर, समय क्यों बर्बाद करें,
हैंड सेनेटाइजर से हाथ, क्यों अपने खराब करें।
मास्क पहनकर अपनी, सुन्दरता क्यों नष्ट करें,
आओ साथी हम भी मरें, औरों का इंतजाम करें।।
ज़ुखाम खांसी बुखार को, हम नज़रअंदाज़ करें,
अपनी बीमारी छुपाकर, स्वस्थता का भ्रम करें।
रिपोर्ट पोजेटिव हो तो, व्यवस्थाओं पे प्रहार करें,
आओ साथी हम भी मरें, औरों का इंतजाम करें।।
कोरोना कोई मजाक नहीं, हल्के में क्यों लेते हो,
बिना मास्क घूम कर, दूसरों की मुसीबत बनते हो।
नियम और निर्देशों का, भरपूर मज़ाक उड़ाते हो,
अपनी लापरवाही की सज़ा, अपनों को ही देते हो।।
मेरे इस व्यंग को बंधुवर, मज़ाक में मत उड़ा देना,
जैसे भी हो कौशिश कर, नियम सभी अपना लेना।।
मास्क पहन हाथ धो कर, सेनेटाइज भी कर लेना,
अपने साथ अपनों परभी अहसान मात्र कर देना।।
कटु सत्य
धन्यवाद् 🙏
कोरोना बीमारी के बारे में सचेत करती हुई बहुत सुंदर रचना
सुंदर
Bahut khoob
True