नन्हीं चिड़िया
बड़े का नाम बहुत ही है दुनियां में
छोटी चीजें पर खुशी का है कारण
नन्हीं नन्हीं चिड़िया जमी पर फुदकती हुई
कितनों के मन को करती थी हरण
आज उनके बिना सुबह सूनी लगती
सबके ही जगने का जो थी कारण
काली सफेद लिबास में लिपटी हुई
नृत्य उसका मनोरंजन था कितना
कैसे कोई जीवंत उदाहरण भी
बन जाता है ऐसे इक दिन सपना
ओझल हो चुकी ऐसा लगता था
इक्की दुक्की फिर हैं दिखने लगी
आओ संभाले कीमती नन्हीं परियों को
स्वर में जिनकी ईश ने मधुर संगीत भरी
सुंदर रचना
नन्ही चिड़िया को परी की उपमा देती हुई बहुत ही सुन्दर कविता
बहुत खूब
Nice thought