शिव रात्रि,उमा महादेव के विवाह की वर्ष गांठ

हर ओर सत्यम शिवम सुंदरम,
हर हृदय में हर-हर हैं।
गरल कंठ में धारण कर,
वो सरल भोले शंकर हैं
व्याघ्र खाल तन पर लपेटे,
भस्म-भभूत ललाट पर लगाए
डम-डम डमरू बाजे जिनका,
वो गिरीश गंगाधर हैं।
कर में जिनके त्रिशूल साजे,
वाम अंग “मां”गौरी विराजें
शिरोधरा में विचरें भुजंग
वो आशुतोष,शिव शंभू शंकर,
वो विश्वनाथ वो नीलकंठ,
पीड़ा का सबकी कर दें अंत।
चंद्र शिखर पर धारण करते,
वो चंद्रशेखर वो महादेव,
कैलाश पति को है नमन।
आज शिव रात्रि है,
उनके विवाह की वर्ष-गांठ।
आज अपने विवाह की वर्ष-गांठ पर,
घूम रहे हैं कैलाश पर,
गौरीनाथ थाम कर हाथ,
निज वनिता का।
है अनंत काल तक साथ,
दिवस हो या रात
अभिनंदन है उमा-महादेव का।
ललाट पर लगाकर चंदन,
करें उमा-महादेव का वंदन।
पूजा में अर्पित करें,
बेलपत्र भांग, धतूरा,
दूध शहद रोली-मौली
धूप दीप नैवेद्य से,
पूजन हो गौरी महेश का।
पंच फल, गंगाजल
अर्पण हो वस्त्र, जनेऊ और कुमकुम का।
इस प्रकार अभिनंदन हो मां पार्वती और शिव का
पुष्पमाला, शमी का पत्र,
खसखस लोंग सुपारी पान,
खुशबूदार इलायची द्वारा,
करें उमा-महादेव का स्वागत सम्मान।
समग्र सृष्टि है जिनकी शरण में,
कर बद्ध नमन है,उमा-महादेव के चरण में।।
______✍️गीता

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Responses

  1. जय भोलेनाथ…
    बहुत ही सुंदर वर्णन
    शिवरात्रि पर बहुत ही
    धांसू रचना

  2. महाशिवरात्रि पर कवि गीता जी की कलम से उदभूत बहुत सुंदर रचना है यह। सत्यम, शिवम, सुंदरम की भावना बहुत ही पवित्र भावना है। कवि सरल भाषा के माध्यम से पाठक तक अपनी बात पहुंचाने में सक्षम है। जय हो

    1. इस सुंदर एवम् उत्साह वर्धन करती हुई समीक्षा हेतु आपका बहुत-बहुत धन्यवाद सतीश जी

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