सत्यमार्ग पर चलना होगा
गोरी-चिट्टी, काली चमड़ी
को रगड़ रगड़ क्यों धोता है।
यह सब कुछ है नश्वर है
जग में कर्मों का लेखा-जोखा होता है।
कौन है गोरा कौन है काला
यह ना रखता कोई याद,
अच्छे व्यवहार को ही हर कोई
रखता है याद मरने के बाद।
यह कहकर ना रोता कोई
वह तो कितना गोरा था,
वह अच्छा था, वह प्यारा था
ज्ञान की बातें करता था।
कर्मों से ही भले-बुरे की
होती है पहचान यहाँ,
जो-जो तुमने यहां किया है
भोगोगे भगवान वहां।
सत्यमार्ग पर चलना होगा
सत्कर्मों को करना होगा,
अपने स्वार्थ, लोभ के आगे
हे प्रज्ञा! तुझे निकलना होगा।।
अतिसुंदर
धन्यवाद
वाह क्या बात है खूबसूरत कविता लिखी है आपने
धन्यवाद
Nice thought
Thank you so much