दिल ही जानता है
ये तो दिल ही जानता है
हम तुम बिन कैसे रहते हैं
तुम्हें किसी और के साथ देखते हैं
ये दर्द कैसे सहते हैं
दिन तो हंसी खुशी बीत जाता है
रात की खामोशी को चुपचाप सुनते हैं
मेरी सिसकियां कमरे के बाहर नहीं जाती
हम तकिए को अश्कों से भिगोते हैं
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