मुक्तक

जब भी ख्यालों में यादों की लहर आती है! #दर्द की बेचैनी में रात गुजर जाती है! अश्कों में घुल जाता है ख्वाबों का आशियाँ,…

मुक्तक

मेरा ख्याल तेरी यादों से डर जाता है! मेरे दर्द को दिल में गहरा कर जाता है! जब भी करीब आती हैं बारिशों की बूँदें,…

मुक्तक

तुम मेरी चाहतों में हरवक्त बेशुमार हो! तुम मेरी धड़कनों में आ जाते हर बार हो! अब मुश्किल बहुत है रोकना तेरे सुरूर को, तुम…

मुक्तक

कबतक तेरी याद में तड़पता मैं रहूँ? कबतक तेरी चाह में तरसता मैं रहूँ? डूबा हूँ मैं कबसे पैमानों में मगर, कबतक तेरे दर्द से…

मुक्तक

मेरी नजर के सामने साकी रहने दो! हाथों में अभी जाम को बाकी रहने दो! धधक रही हैं तस्वीरें यादों की दिल में, अश्कों में…

मुक्तक

तेरी दिल में ख्वाहिश आ ही जाती है! जख्मों की फरमाइश आ ही जाती है! आवाज गूँजती है जब भी यादों की, हर ख्वाब की…

मुक्तक

तेरी दिल मे ख्वाहिश आ ही जाती है! जख्मों की फरमाइश आ ही जाती है! आवाज गूँजती है यादों की जब भी, हर ख्वाब की…

मुक्तक

हर शाम चाहतों की आहट सी होती है! हर शाम जिगर में घबराहट सी होती है! जब रंग तड़पाता है तेरी अदाओं का, मेरी साँसों…

मुक्तक

हर शख्स निगाहों में प्यार लिए रहता है! हर वक्त जेहन में खुमार लिए रहता है! जब कभी रुक जाती है राह मंजिलों की, दर्द…

मुक्तक

जब भी यादों की तस्वीर नजर आती है! तेरे ख्यालों की जागीर नजर आती है! मैं जब भी ढूँढता हूँ जिन्दगी की राहें, तेरी बाँहों…

मुक्तक

मुझको तेरी जुदाई मार डालेगी! मुझको गमे-तन्हाई मार डालेगी! कबतलक जी पाऊँगा तन्हा इसतरह? मुझको गमे-रुसवाई मार डालेगी! मुक्तककार- #महादेव’

मुक्तक

तेरे लिए मैं तन्हा होता जा रहा हूँ! तेरे लिए मैं खुद को खोता जा रहा हूँ! अश्कों में मिल गयी हैं यादों की लहरें,…

मुक्तक

हुई है शाम मगर रात को होने दो! अपनी तन्हाई में मुझको खोने दो! बेकरार ख्वाब हैं आने को नजर में, थोड़ी देर चैन से…

मुक्तक

कभी कभी मैं खुद से पराया हो जाता हूँ! दर्द की दीवार का एक साया हो जाता हूँ! जब बेखुदी के दौर से घिर जाता…

मुक्तक

तेरी आरजू है फिर करीब आयी सी! तेरे हुस्न की तस्वीर मुस्कुरायी सी! याद आ रही है तेरी रूबरू लेकिन, ढूँढती नजर में दर्द की…

मुक्तक

कबतक जी सकूँगा नाकाम होते होते? कबतक जी सकूँगा गुमनाम होते होते? भटक रहा हूँ तन्हा मंजिल की तलाश में, कबतक जी सकूँगा बदनाम होते…

मुक्तक

कैसे कहूँ कि अब तुमसे प्यार नहीं रहा! कैसे कहूँ कि तेरा इंतजार नहीं रहा! हरपल करीब होती है तेरी जुस्तजू, कैसे कहूँ कि तेरा…

मुक्तक

मैं यादों का कभी कभी जमाना ढूँढता हूँ! मैं ख्वाबों का कभी कभी तराना ढूँढता हूँ! जब खींच लेती है मुझको राह तन्हाई की, मैं…

मुक्तक

तेरे हुस्न का मैं अफसाना लिए रहता हूँ! तेरे प्यार का मैं नजराना लिए रहता हूँ! मैं रोक नहीं पाता हूँ यादों का कारवाँ, तेरे…

मुक्तक

मैं दफ्न उजालों का डूबा हुआ शहर हूँ! मैं वक्ते-तन्हाई में यादों का सफर हूँ! ढूँढता हूँ खुद को खौफ के अंधेरों में, मैं ख्वाहिशों…

मुक्तक

कबतलक तेरा इंतजार मैं करूँ? दर्द की नुमाइश हर बार मैं करूँ? खौफ है कायम बेरुखी का तेरी, कबतलक खुद को बेकरार मैं करूँ? मुक्तककार-…

मुक्तक

जब तेरी नजरों से मुलाकात होती है! चाहत की दिल से रूबरू बात होती है! यादों का तूफान कभी रुकता नहीं मगर, तन्हाइयों के आलम…

मुक्तक

तेरा ख्याल खुद को समझाने का रास्ता है! तेरा ख्वाब खुद को बहलाने का रास्ता है! मुश्किलों को थाम लेती है आरजू तेरी, तेरी याद…

मुक्तक

जी रहा हूँ तुमको पाने की आस लिए! जी रहा हूँ साँसों में तेरी प्यास लिए! ख्वाब बंध गये हैं नजरों की डोर से, प्यार…

मुक्तक

मेरी जिन्दगी की तस्वीर बन गये हो तुम! मेरी मंजिलों की तकदीर बन गये हो तुम! तूफान चल रहे हैं यादों के शामों-सहर, दिल में…

मुक्तक

सूरज को रोशनी का गुमान किसलिए है? शाम तन्हाई की पहचान किसलिए है? टूटते नजारे हैं फिजा में हरतरफ, रात आहटों की मेहमान किसलिए है?…

मुक्तक

टूट रहा हूँ मैं गमे-अंजाम सोचकर! टूट रहा हूँ मैं गमे-नाकाम सोचकर! मंजिल डरी हुई है दर्द-ए-बेरुखी से, तेरी बेवफाई का पैगाम सोचकर! मुक्तककार- #महादेव’

मुक्तक

जिन्दगी में तेरी हरपल कमी रहती है! अश्क की आँखों में हरपल नमी रहती है! दौर भी है कायम तेरी तमन्नाओं का, दर्द की ख्यालों…

मुक्तक

तेरी जुल्फ से खुद को आजाद करूँ कैसे? तेरी तमन्नाओं को बरबाद करूँ कैसे? कदमों को रोक देती है आहट जख्मों की, तेरी आरजू की…

मुक्तक

हरबार तुम एक ही नादानी न करो! हर किसी से जिक्र तुम कहानी न करो! रूठी हुई है मंजिल प्यार की मगर, हरबार तुम खुद…

मुक्तक

अपनी यादों को मिटाना आसान नहीं है! अपने गम को भूल जाना आसान नहीं है! तन्हाइयों की राह पर जब चलते हैं कदम, सफर से…

मुक्तक

तेरा ख्याल जब भी बार-बार आता है! दिल में बेचैनी का किरदार आता है! बेताब नजर से लिपट जाती हैं यादें, तेरी गुफ्तगूं का इंतजार…

मुक्तक

तेरा ख्याल जब भी बार-बार आता है! दिल में बेचैनी का किरदार आता है! बेताब नजर से लिपट जाती हैं यादें, तेरी गुफ्तगूं का इंतजार…

मुक्तक

मुझको फिर भूली हुई बात याद आयी है! चाहत की सुलगी हुई रात याद आयी है! मैं मुन्तजिर हूँ आज भी दीदार का तेरे, मुझको…

मुक्तक

तेरी याद जब भी आस पास होती है! मेरी जिन्दगी खामोशी से रोती है! घेर लेता है मुझे बेबसी का मंजर, आरजू खुद को अश्कों…

मुक्तक

जो साथ नहीं देते वे रूठ जाते हैं! रास्तों में अक्सर हमसे छूट जाते हैं! दूरियाँ बन जाती हैं दिलों के दरमियाँ, हौसले भी जिन्दगी…

मुक्तक

मैं भूला था कभी तेरे लिए जमाने को! मैं भूला था कभी अपने आशियाने को! भटक रहा हूँ जबसे गम के सन्नाटों में, हर शाम…

मुक्तक

तेरी चाहत मेरे गुनाह जैसी है! तेरी चाहत दर्द की आह जैसी है! आँखों में आहट है ख्वाबों की लेकिन, तेरी चाहत सितम की राह…

मुक्तक

यूँ ही दर्द हमें राहों में कबतक मिलेंगे? हम खौफ के सन्नाटों में कबतक चलेंगे? कदम आरजू के कभी रुकते नहीं मगर, हम शाम की…

मुक्तक

मेरी कोशिश तुमको पाने की है! अपने करीब तुमको लाने की है! कबतक सह पाऊँगा बेताबी को? तेरी हर अदा तो सताने की है! मुक्तककार-…

मुक्तक

मैं जिन्दगी को तन्हा बिताता रहता हूँ! मैं दर्द को पलकों में छिपाता रहता हूँ! चारों तरफ हैं आन्धियाँ हालात की मगर, तेरी शमा चाहत…

मुक्तक

उठती हुई नजर में एक आशा भी होती है! मंजिल को छूने की अभिलाषा भी होती है! रोशनी मौजूद है अभी जिन्दगी में लेकिन, जज्बों…

मुक्तक

तेरा ख्याल जख्म के रंगों से भर गया है! रूठे हुए नसीब की आहट से डर गया है! यादों की जंजीर से जकड़ी है जिन्द़गी,…

मुक्तक

उठती नजर में तेरा चेहरा नजर आता है! मुझपर तेरे प्यार का पहरा नजर आता है! ख्वाबों के दायरे में ठहर जाती है जिन्दगी, ख्वाहिशों…

मुक्तक

कैसे कहूँ कि तेरा दीवाना नहीं हूँ मैं! कैसे कहूँ कि तेरा परवाना नहीं हूँ मैं! जब छलक रही है मदहोशी तेरे हुस्न से, कैसे…

मुक्तक

क्या हुआ अगर मैं खामोश हो गया हूँ! जाम के नशे में मदहोश हो गया हूँ! भटके हुए पलों में खोया हूँ इसतरह, महफिलों में…

मुक्तक

बंद हैं आँखें मगर कुछ बोलती रहती हैं! राह तमन्नाओं की कुछ खोलती रहती हैं! जिन्दा है तेरी आरजू मेरे जेहन में, दर्द की लहरें…

मुक्तक

जब जिन्दगी में आलम वीरान मिल जाते हैं! भटकी हुई तमन्ना के निशान मिल जाते हैं! भीगी हुई सी तन्हाई में चलते हैं कदम, बिखरे…

मुक्तक

किस किस को मैं अपनी नादानी को कहूँ? किस किस को मैं दर्द की रवानी को कहूँ? जले हुए से ख्वाब हैं अश्कों में तैरते,…

किस किस को मैं अपनी नादानी को कहूँ? किस किस को मैं दर्द की रवानी को कहूँ? जले हुए से ख्वाब हैं अश्कों में तैरते,…

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