शरीर आत्मा में

शरीर आत्मा में लगा कोई दीमक मन परमात्मा में लगा कोई दीपक क़र्ज़ सांसों का होता बस शरीर पर आत्मा बही-खातों में रखा कोई बीजक…

कभी बादलों से

कभी बादलों से कभी बिजलिओं से बनती है सरगम कलकल बहते पानी चलती हवाओं से बनती है सरगम इठलाती घूमती बेटियां होती झंकार बनती है…

उसकी नज़रों की

उसकी नज़रों की तलाशी में मेरे किरदार बदले से मिले मैं ढूंढ़ता रहा उसकी आँखों में चंद कतरे पर जमे से मिलें राजेश’अरमान’

हर भोर

हर भोर उगता सूरज नई किरणों के संग नए खेल रचता नई ऊर्जा का संचार दिन भर तपस कभी ज्यादा कभी कम इस ज्यादा इस…

बरपने लगा

बरपने लगा शोर कुछ अपने पाले सन्नाटों में कुछ उधर भी है खलबली उनके दिए काँटों में माना की कोई मरासिम नहीं उनके सायों से…

हम लुत्फ़ कुछ

हम लुत्फ़ कुछ बारिशों का यूँ उठा रहे है अपने आंसुओं को बारिशों में छुपा रहे है उसी को याद करना और हमेशा याद रखना…

अरमां था ज़िंदगी

अरमां था ज़िंदगी से कभी मुलाकात होगी बिठा पलकों पे कुछ खास बात होगी सोचता था होगी ज़िंदगी मेरी फूलों की तरह निकाले होगी घूँघट…

ये ख्वाइशें

रेत के महलों की तरह ,हरदम ढहती है ये ख्वाइशें फिर भी हर पल क्यों सजती सवरती है ये ख्वाइशें उम्मीदे इन्ही ज़िंदा रखती सांसों…

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