“हद” #2Liner-34
ღღ__ना जाने कैसे तुझको, “बे-हद” चाह बैठा “साहब”; . ये दिल जो अक्सर मुझको, मेरी “हद” बताता था !!………#अक्स
ღღ__ना जाने कैसे तुझको, “बे-हद” चाह बैठा “साहब”; . ये दिल जो अक्सर मुझको, मेरी “हद” बताता था !!………#अक्स
ღღ__नज़रों को इंतज़ार की, सजाएँ इतनी भी ना दो “साहब”; . ये बारिशें बिन मौसम की, हमसे अब देखी नहीं जाती !!…….#अक्स
wo kehte hai, ‘Tere har dard ka mujhe ehsaas hai’….. or hum puchte hai, ‘Aisa bhi isme kya khaas hai’… kya dil humare, sach mein…
haar k baad, jeet aati hai… or raat k baad, subh ho jaati hai… jab khyaal aata hai tumse bichadne ka dil mein, to shaayad…
zindgi junoon hai, dil mein ek sukoon hai… manzil bhot door hai, magar rasta haseen hai… chalo ab ise bhi aazma lete hai, kismat ka…
ღღ__आगाज़ तो इस बरस का, लाजवाब हुआ है “साहब”; . बस यही अन्दाज़, मेरे अन्जाम तक बनाये रखना !!……#अक्स . समस्त मित्रों एवं शुभचिंतकों को…
उन्नति को लगी रहे आप से मिलने की लगन …. इस नववर्ष , आपके यहाँ हो खुशियों का आगमन …. सिलसिलेवार रहे चेहरे पर रौनक…
ღღ__दूर आप जा रहे हो ‘साहब’, या फिर ये दिसम्बर; . कोई भी दूर जाये हमसे, ये देखा नहीं जाता !!…….#अक्स
!!!!! SAGAR KE DIL SE !!!!! apno ne hi loot liya yarro shikayat karte bhi tau kis se apno ne hi zakham diye yaaro marham…
कुछ तो खता तुम्हारी, बेशुमार यादों की है ‘साहब’; . ღღ___यूँ ही बे-सबब कोई, आवारा नहीं होता !!…….#अक्स
!!!!! SAGAR KE DIL SE !!!! bahut koshish karta hun khushion ko paas bulane ki par shayad gammo ka pehra kuch jayada hi sakht hai…
tu use mandir ya masjid me mt dhund. usne mohabbat ki h use meykhane me dhund..
!!!! SAGAR KE DIL SE !!!!! Koi gair phir bhi de dega sahara tujhe apno ke bharose reh kar kahin gir na jana @@ SAGAR…
ღღ__इक उम्र गुज़ारी है आशिक़ी में, तो जाना है; . कुछ नहीं मिलता, इसमें इक आवारगी के सिवा !!……..#अक्स
!!!! SAGAR KI KALAM SE !!!!! itne mash’hoor ho gaye hum nakam jo hue mohabat main ki hum se hamari hi dastaan bayaan kar gaya…
ღღ__बाकी हैं चन्द साँसें अब, बेज़ार से दिसम्बर की; . एक नए दिन की तलाश में, पूरा साल ही जा रहा है !!…….#अक्स
ღღ__माफ़ करना पर आज, कोई शायरी नहीं है “साहब”; . कि रिश्तों की ठंड में, लफ्ज़ भी जम गये मेरे !!……..#अक्स
pyaar sirf ek alfaaz hai humare liye… jiski na koi surat hai, na hi koi murat hai… par aapke alfaazon se andaaza lgate hai, jo…
ღღ__मेरे गुनाह-ए-इश्क़ का, कोई फैसला तो सुना दो “साहब” . इस दिल को समझाने में, कुछ वक़्त भी तो लगता है!!…..#अक्स
chal pdii hu aise ek raste pr, jiski manzil ka na koi pta hai…. khushiyaan dene ki koshish ki maine bhot, yahi meri sabse bdii…
dil-o-jaan se chahte hain hum tumhein… hakiqut mein milna shaayad ab naseeb mein nahi… isliye jaldi palko ka milan aankhon se kra dete hai… kyonki…
थे क़रीब इक दूजे के …. लेकिन फिर भी दरम्यां हमारे , दुरी रह गयी …. इबादत करते हुए , इक भी दर ना छोड़ा…
मोहब्त का ले सहारा उन्हें पाने की सोची….. ख़ुद ही बे – सहारा हो गए ….. जिनका अक्श कभी ओझल ना हुआ , नजरों…
ღღ__जो तुम कर रहे हो “साहब”, सितम की इन्तहा नहीं तो क्या है; . कि दूर भी जा रहे हो मुझसे, वो भी ज़रा-ज़रा कर…
क़ायनात ने क्या ख़ूब साज सजाया हैं …. जिंदगी के बे- रंग रंगो ने क्या रंग दिखाया हैं…. ज़रा नज़रे उठा देख ए – फ़लक…
लफ्ज है ये या बेबस दिल है मेरा धड़कन जिसकी किसी को सुनाई नहीं देती… अनु
ღღ__भला और क्या दूँ तुझको, सुबूत अपनी वफ़ा का मैं; . कि ख़ुद का भी ना हुआ हूँ, जबसे तेरा हुआ हूँ मैं !!…….#अक्स
महफ़िल – ए – यारोँ में , थोड़ा अलग दिखा देते हैँ ….. मुझे , मेरे अल्फ़ाज …… फितरत बता देते हैं , मेरी ….…
ღღ__शायद ये आँखें मूँद लेने का, सही वक़्त है “साहब”; . कि रोज़ ख्वाहिशों का मरना, हमसे अब देखा नहीं जाता !!……#अक्स . www.facebook.com/अन्दाज़-ए-बयाँ-with-AkS-Bhadouria-256545234487108/
ये सर्दियों का मौसम, और ये तन्हाईयों का आलम; . कहीं जान ही ना ले-ले, इनसे मिलके बेबसी मेरी !!……#अक्स . www.facebook.com/अन्दाज़-ए-बयाँ-with-AkS-Bhadouria-256545234487108/
तलब ऐसी उठी दिल से….. की उन्हीं के तलबगार हो गए…. जमाने की जुबां पर …. किस्से हमारी मुलाकातों के बार – बार हो गए….…
ღღ__इस कदर भी याद, ना आया करो “साहब”; . मेरी खुशियों की नींद में, खलल पड़ता है !!…….#अक्स . www.facebook.com/अन्दाज़-ए-बयाँ-with-AkS-Bhadouria-256545234487108/
ღღ___तुझको पाने की कोशिश भी, तू जो कह दे तो ना करूँ; . पर पाने की आरजू रखना, तो कोई गुनाह नहीं !!………#अक्स
Jb mile the tumse, to socha tumhe kbhi khone nahi deinge…. Dheere dheere Jana tumhe, fir soch Nek Ho tu…. Jb dekha guroor tumhara, to…
ღღ__कुछ इस तरह से लिक्खा है, उस ख़ुदा ने मेरा नसीब; . कि मैं तो सबका हो जाऊंगा “साहब”, कोई मेरा नहीं होगा !!…….#अक्स
साँसे चल रही हैँ , बिन उसके.. आने वाला , जीने में मज़ा क्या… चाह लिया उसे , उसकी इजाज़त के बगैर ….. इसमें किया…
थोड़ा मायूस हूँ , थोड़ा तन्हा हूँ .. कोई राह – ए – ख़ुशी बता दो…. ख़ुद की ख़ामोशी देख , ख़ामोश क़ायनात भी दिख…
चुनौती ज़िन्दगी का, कहता हैं, हूँ मैं हर मोड पर, लेकिन हम भी कुछ कम नहीं, इन्हीं चुनौतियों के सात जीना सीख लिया हैं, की…
कफ़स दिल में कुछ जज़्बात .. आबो संग बीता जाता हूँ , ” मैँ “….. पुष्प हूँ , खिलनें के लिए बना हूँ …. …
ज़रा इक निग़ाह डाल देखों सावन पर ” पंकजोम ” प्रेम ” ” …. ख़ामोश अल्फ़ाज़ मेरे ,सबसे बतियाते बतियाते दिखेंगे ….. पंकजोम ” प्रेम “
उसने कहा बहुत अमीर हूँ ” मैं ” , दिल से…. लेकिन चाहत का इक भी टका , वो मुझ पर खर्च ना कर सकी..
अपनी पूरी कमाई तूने मय पर लूटा दी….. ए – ग़ालिब…. जरा मुझे ये बता… उस दो घूंट में , जिंदगी जीने का स्वाद…
ღღ__वो तो लालच है उनके ख्वाबों का, जो हमें सुला देता है “साहब”; . वरना नींदें तो उनकी यादों ने, एक अरसे से उड़ा रक्खी…
m kb tanha hui “jnab” meri to masrufiyat hi tumse h???
rojj mera katal hota h roj m smbhal jati hu.. jiddi tum bhut ho.. jiddi km hum b nhi
कुछ ऐसा लिखूँ , की पढ़ने वाले को लगे … मेरा एक – एक अल्फ़ाज , गहरा हैँ … खों जाये वो मेरे अल्फाज़ो की महफ़िल में .. लगे उसे , मानो आज वक़्त , ठहरा हैं.. यादगार हों जाये उसके लिए , मेरी हर इक सुखनवरी …. एहसास हो , जैसे….. रौनक के पहरे से…
दिल बेचैन हुआ , तो उसके दीदार का दिया दिलासा हैं ….. जाने वाले कल चले गए , लेकिन आज भी उनके लौट आने की …. छोटी सी आशा हैं ….. अब कोई तो बने सुराही – ए – मोहब्त …. क्योंकि ये सुख़नवर बहुत , प्यासा हैं …. पंकजोम ” प्रेम “
वक़्त लगता हैं यहाँ , इंसान को इंसान समझने में ……. वक़्त लगता हैं यहाँ , पत्थर को भगवान समझने में …… आधी उम्र बीत जाती हैँ सोचने सोचने में .. क्योंकि वक़्त लगता हैं यहाँ , जीने के अरमान समझने में ….. पंकजोम ” प्रेम “
ღღ__हमको सताने के मौके, वो छोड़ते नहीं हैं “साहब”; . कल ख़्वाब में भी आए, तो अजनबी बनकर !!…….#अक्स . www.facebook.com/अन्दाज़-ए-बयाँ-with-AkS-Bhadouria-256545234487108/
Na hum barbaad hue, Na hum aabad hue Jane kaise “janbaaj” hue???
Please confirm you want to block this member.
You will no longer be able to:
Please note: This action will also remove this member from your connections and send a report to the site admin. Please allow a few minutes for this process to complete.