by Pragya

“आधुनिक पत्रकारिता”

October 3, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

वो कहते हैं बलात्कार की
घटना हमने सबसे पहले
दिखलाई है
पीड़िता के घर तक सबसे
पहले हमारी पत्रकार
पहुंच पाई है
हमने दिखलाया सबसे पहले
पीड़िता के भाई को
पीड़िता की आवाज सबसे
पहले हमने सुनवाई है
हमने कोशिश की सबसे पहले
उस परिवार से मिलने मिलने की
पीड़िता की जलती लाश
हमने सबसे पहले दिखलाई है
क्या यही है आधुनिक पत्रकारिता
शर्म नाम की चीज नहीं
आखिर हिन्दुस्तान की मीडिया
कितने निचले स्तर पर उतर
आई है…

by Pragya

लफ्ज ना हों

October 3, 2020 in शेर-ओ-शायरी

जरा सोंच कभी हम ना हों
तेरी जिंदगी में कोई गम ना हों
कैसे कटेगा वक्त तेरा
अगर जुबां हो पर लफ्ज ना हों.

by Pragya

ख्वाबों का महल

October 3, 2020 in शेर-ओ-शायरी

आखिर डूब ही गया
ख्वाबों का महल,
कितनी दफा रोंका था दिल ने
समुंदर पर आशियां बनाने से…

by Pragya

लकीरें वक्त की

October 3, 2020 in शेर-ओ-शायरी

रोज यूं ही नहीं बन जाते हैं अफसाने नये-नये
लकीरें वक्त की बनती बिगड़ती रहती हैं…

by Pragya

नफरत के ज्वार

October 3, 2020 in शेर-ओ-शायरी

हैं कितनी कड़वाहटें मन भरी आजकल
किसी को देखकर नफरत के दिल में
ज्वार उठते हैं…

by Pragya

इस बार

September 28, 2020 in शेर-ओ-शायरी

इस बार अगर ठुकरा दिया तूने
तो फिर कभी लौटकर ना आएगे
चली गई साँस भी मेरी तो भी
तुझसे कंधा ना लगवाएगे….

by Pragya

मैं कविताएं नहीं लिखती

September 28, 2020 in शेर-ओ-शायरी

मैं कविताएं नहीं लिखती
ना लिखना ही जानती हूँ
बस अपनों के दिये दर्द ही
बयां करती हूँ..

by Pragya

मरने की कगार पर

September 28, 2020 in शेर-ओ-शायरी

मरने की कगार पर पहुँच गये हैं हम
पर लोगों ने आज भी मुझ पर
चिल्लाना नहीं छोंड़ा…

by Pragya

ईद का चाँद

September 28, 2020 in शेर-ओ-शायरी

आँखें पथराई हैं तेरी राह देखकर
मुलाकात को बेचैन हैं इतना
पर तू तो ईद का चाँद हो गया है..

by Pragya

ख्वाहिशों की बातें

September 26, 2020 in शेर-ओ-शायरी

ख्वाहिशों की मैं बातें आजकल नहीं करती

जिंदगी को बस किश्तों में जिया करती हूँ।

by Pragya

ख्वाहिशे

September 26, 2020 in शेर-ओ-शायरी

रोती हैं ख्वाहिशे और तन्हाई मुस्कुराती है
****************************
जब कभी भी हम तुझको याद किया करते हैं।

by Pragya

रात-दिन

September 26, 2020 in शेर-ओ-शायरी

रात-दिन रहते थे हम एक-दूजे के साये में
****************************
एक-दूजे के तन से हम बदन को ढका करते थे।

by Pragya

चाँद को बेदाग

September 26, 2020 in शेर-ओ-शायरी

चाँद में दाग है ये वो बार-बार कहता था
हम चाँद को बेदाग कहा करते थे
वो मेरी हर एक बात मान जाता था
हम हर एक बात पे उससे सवाल करते थे।

by Pragya

गुरूर

September 26, 2020 in शेर-ओ-शायरी

छुप-छुप के देखती थी मुझको जब नजर उसकी
—————————————-
तब कितना खुद पे हम गुरुर किया करते थे।

by Pragya

अंदाज

September 26, 2020 in शेर-ओ-शायरी

रोज-रोज रूठती थी मैं और वह मनाता था
—————————————-
अपनी जवानी के ये अंदाज हुआ करते थे।

by Pragya

मेरी ईद

September 26, 2020 in शेर-ओ-शायरी

उसकी दीद में ही मेरी ईद हुआ करती थी
——————————————
हम कुरान उसकी इबादत में पढ़ा करते थे।

by Pragya

कल तलक फिरता था

September 26, 2020 in शेर-ओ-शायरी

कल तलक फिरता था वह मेरा बनके दीवाना
हम आंखों ही आंखों में बात किया करते थे
आज बहुत दूर है वो हमसे मगर फिर भी
हम सपनों में उनसे रोज़ मिला करते हैं।

by Pragya

गुड्डी भी सुलझा लेंगे

September 26, 2020 in शेर-ओ-शायरी

नींदें हैं आजकल ना जाने क्यों रूठी हमसे
वो मिलेगा तो यह गुत्थी भी सुलझा लेंगे

by Pragya

पैर पड़ लेंगे

September 26, 2020 in शेर-ओ-शायरी

दीद हो जाएगी तो बातें चार कर लेंगे
रोना आएगा तो उसके कंधे पर सिर रख लेंगे
वह जाने लगेगा रूठ कर अगर हमसे
हम मनाने के लिए उसके पैर पड़ लेंगे।

by Pragya

हम तो सिहर जाते हैं

September 26, 2020 in शेर-ओ-शायरी

उनके आने से मेरा जहान जगमगाया था
उनके जाने के खयाल से भी पैर डगमगाते हैं,
छोड़ जायेंगे एक दिन वो मुझको तन्हा ही
यह सोचकर भी हम तो सिहर जाते हैं।

by Pragya

खेल मुकद्दर का

September 26, 2020 in शेर-ओ-शायरी

टूट कर चाहने से कुछ भी
नहीं होता है,
सब खेल मुकद्दर का होता है
ये अब समझ पा रही हूँ मैं।

by Pragya

मुनासिब

September 26, 2020 in शेर-ओ-शायरी

जिसके बिन जीना एक पल भी ना मुनासिब था
++++++++++++++++++++
उसके बिना पूरी उम्र जिए जा रही हूँ मैं…

by Pragya

काँटों से भी मैं प्यार

September 26, 2020 in शेर-ओ-शायरी

उसके होंठों पे बनके मैं गुलाब टूटी हूँ,
***********************
अब तो काँटों से भी मैं प्यार किया करती हूँ।

by Pragya

कब्र में भी

September 26, 2020 in शेर-ओ-शायरी

खाक में मिला के उसने मेरे तन को राख किया

कब्र में भी उसी को याद किया करती हूँ ।

by Pragya

उसकी शोखी

September 26, 2020 in शेर-ओ-शायरी

मैं तो मरती हूँ उसकी एक-एक शोखी पर
रूबरू उसको मैं महसूस किया करती हूँ।।

अभिव्यक्ति दिल से ❤❤

by Pragya

एहसास किया करती हूँ

September 26, 2020 in शेर-ओ-शायरी

अक्सर दिल में बैठकर वो बात करता है
मैं आजकल ये एहसास किया करती हूँ ।

अभिव्यक्ति दिल से ❤❤

by Pragya

दीद हो जाए

September 26, 2020 in शेर-ओ-शायरी

दीद हो जाए उसकी एक बार मुझको बस
***************************
हर आने-जाने वाले पर इसी वाइस मैं नजर रखती हूँ।

by Pragya

दिल के दरवाजे

September 26, 2020 in शेर-ओ-शायरी

कोई आ ना जाए
दिल में मेरे रहने को
यही सोंचकर
दिल के दरवाजे बंद रखती हूँ।
एक बार खा चुकी हूँ पहले
प्यार में धोखा
इसलिए छाछ भी मैं फूंक-फूंक पीती हूँ।

by Pragya

लौटकर आएगा वो

September 26, 2020 in शेर-ओ-शायरी

वह चला जाएगा ये
सोचकर मैं रोती थी,
रात को रात बनाने से अब मैं डरती हूँ।
छोड़कर जा चुका है वह तो
मुझे बरसों से
लौटकर आएगा ये इंतजार करती हूँ।

by Pragya

चांद को चांद नहीं कहती हूं

September 26, 2020 in शेर-ओ-शायरी

हमने बिछाई हैं
कई बार राह में पलकें
वो भी पलट के देखेगा
यह उम्मीद
नहीं रखती हूँ
जब से देखी है सनम की सूरत मैनें
तब से मैं
चाँद को चाँद नहीं कहती हूँ!!

by Pragya

उम्मीद मत रखना तुम

September 26, 2020 in शेर-ओ-शायरी

वो तेरा बार-बार दिल दुखाएगा
मगर मत रोना तुम
तेरी आंखों में आंसू ले आएगा
मगर मत रोना तुम
उसकी राहों में बिछाओगे तुम दिल अपना
वो तुझको अपनाएंगा यह उम्मीद मत रखना तुम।

by Pragya

उम्मीद मत रखना तुम

September 26, 2020 in शेर-ओ-शायरी

वो तेरा बार-बार दिल दुख आएगा
मगर मत रोना तुम
तेरी आंखों में आंसू ले आएगा
मगर मत रोना तुम
उसकी राहों में बिछाओगे तुम दिल अपना
वो तुझको अपनाएंगा यह उम्मीद मत रखना तुम।

by Pragya

सितमगर…

September 25, 2020 in शेर-ओ-शायरी

सितमगर सितम देता ही रहा
मैं उसे आखिरी समझ कर झेलती रही
वह तो मेरे साथ खेल ही रहा था पर मैं भी
अपने वजूद के साथ खेलती रही…

by Pragya

मुबारकबाद

September 25, 2020 in शेर-ओ-शायरी

मुबारकबाद देते हो मेरी ना कामयाबी की
इतना पत्थर दिल तो पत्थर भी नहीं होता….

by Pragya

भावनाओं को ठेस

September 25, 2020 in शेर-ओ-शायरी

यूं तो हम किसी की बात का बुरा
इतनी जल्दी नहीं मानते
पर दिल ही तो है
भावनाओं को ठेस पहुंचेगी तो
दिल रो ही पड़ेगा।

by Pragya

दिल की अलमारी

September 25, 2020 in शेर-ओ-शायरी

कितने करीने से
सजा कर रखती हूं मैं
तुम्हारी यादों को
दिल की अलमारी में!
और तुम आकर
सब एक पल में बिखेर देते हो !!

by Pragya

आज भूल गई

September 25, 2020 in शेर-ओ-शायरी

ताज्जुब है तुम्हारी यादाश्त पर
सारी बातें कैसे याद रहती हैं तुम्हें
यही सोचती हूं मैं आजकल
क्योंकि मैंने तुम्हें कल
लफ्ज़ लफ्ज़ याद किया था
और आज भूल गई।

by Pragya

गुजरे जमाने की बातें

September 25, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

आज बड़े दिनों बाद
बात की उनसे
दिल में ठंडक सी उतर आई
गुजरे जमाने की
सारी बातें
एक-एक करके
मस्तक पटल पर
खुलने लगी
सारे लम्हे सामने आ गये
मन सावन की तरह झूम उठा।

by Pragya

वो हमें

September 24, 2020 in शेर-ओ-शायरी

दीवानो की तरह हम उन्हें चाहते हैं
वो हमें नखरे हजार दिखाते हैं…

by Pragya

कब तक रहोगे यूं मायूस तुम

September 24, 2020 in शेर-ओ-शायरी

कब तक रहोगे यूं मायूस तुम !
जब आयेगे दुल्हन बनकर तो
कहाँ जाओगे
रूबरू होंगे जब हम तुम्हारे
तो बाहुपाश में आ ही जाओगे…

by Pragya

दिल उदास है

September 24, 2020 in शेर-ओ-शायरी

सितारों से आसमान सजा हुआ है
पर चाँद फिर भी तन्हा है
भीड़ है मेरे आसपास रिश्तों की मगर
जाने क्यों दिल उदास है !!

by Pragya

गुमसुम से रहते हैं

September 24, 2020 in शेर-ओ-शायरी

वो कुछ कहते नहीं आजकल
बड़ा गुमसुम से रहते हैं
लोग कहते हैं अवसाद के
शिकार हो गये हैं..

by Pragya

बादल

September 24, 2020 in शेर-ओ-शायरी

बादल राजस्थान की सूखी जमीन
की तरह लग रहे थे
मगर फिर भी बरसात हो गई
मेरा मन हरा-भरा था फिर भी
रो ना सका..

by Pragya

बेटियां:-मुस्कान की तिजोरी

September 24, 2020 in शेर-ओ-शायरी

खुशियों की चाबी होती हैं बेटियां
घर की लक्ष्मी होती हैं बेटिया
खिलखिला कर सारे गम हर लेती हैं
मुस्कान की तिजोरी होती हैं बेटियां

by Pragya

राह में काँटे बिछाना

September 24, 2020 in शेर-ओ-शायरी

राह में काँटे बिछाना काम है उसका
मेरे दिल को दुःखाना काम है उसका
मैं हँस देती हूँ जो जरा-सा देखकर उसको
मेरी हँसी से जल जाना काम है उसका

by Pragya

उदासी का आलम

September 24, 2020 in शेर-ओ-शायरी

उदासी का आलम
इस कदर छाया है
रूबरू मेरे एक धुंध छाया है
हौसले पंख लगा के उड़ने
को तैयार हैं पर
मेरे पंखों को किसी ने
काटकर गिराया है..

by Pragya

गुलाबी सपने..

September 24, 2020 in शेर-ओ-शायरी

रात होते ही
गुलाबी सपने घेर लेते हैं
हम आँख बंद करते हैं तो
मुह फेर लेते हैं….

by Pragya

जिन्दगी जब सोंचने बैठती है…

September 24, 2020 in मुक्तक

जिन्दगी जब सोचने बैठती है
कितने अफसाने याद आते हैं
रो नहीं पाती हैं आँखें आजकल
अश्क आँखों में ही जम जाते हैं

by Pragya

मोहब्बत का इल्जाम

September 24, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

इल्जाम हमीं पर लगा देते हो
मोहब्बत का
पर शुरुआत तुमने ही की थी
हसीन कितने हो ये जानते नहीं क्या !
दिल में दस्तक तुमने ही दी थी
नखरे हजार अब दिखाते हैं हम पर
नाजों से रखने की बात तुमने ही की थी
अब बुरा लगता है जब मैं रूठ
जाती हूँ
मुझे मनाने की हर बार कोशिश
तुमने ही की थी..

by Pragya

नन्ही-सी परी मेरी लाडली

September 24, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

नन्ही-सी परी मेरी लाडली
अब बड़ी हो गई
बैग लेकर स्कूल पढ़ने जाने लगी
हाथों में कॉपी पेन लेकर
लिखने लगी
अंग्रेजी में कविता सुनाने लगी
आँखों में उसके हैं
अनगिनत सपनें
मेरी आँखों में भी सपने
सजाने लगी
स्कूली परिवेश पहनकर
कितनी सोनी लगती है
अब तो अपनी चोटी खुद
ही बनाने लगी
ए, बी, सी, डी उसकी उंगली
पर रहते हैं
अब तो वह जोड़ने-घटाने लगी..

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