Prem hua hai

प्रेम हुआ है!!

बचकानी सी हरकतें सुहानी लगने लगती हैं
किसी की हलकी मुस्कराहट ज़िंदगानी लगने लगती हैं
हर पल मनो एक नया एहसास
मनो जैसे खूबसूरत इत्र की खुसबू चरों और खास
छु लून क्या ?
नहीं , जल्दीबाज़ी में बात बिगड़ सकती है ,
थोड़ा ठहर देख लून जी भर
उसे भी मौका दे देती हूँ मुझे समझने को अपना घर ,
सफर तोह लम्बा हैं जल्दी क्या है ?
जो अपना होना होगा वह तब भी हमारा ही हमारा ही होना है
फिर भी बेचैनी सी ,क्या पता नज़रें धोका दे रही हों ?
कहने को दो मगर हज़ारों पर तिकी हों
क्या पता उसके लिए भी यही माहौल हो रहा हो ,
संसार की नियमो में अपने सारे भावनाएं पिरोह रहा हो
हाँ , हो सकता है
चलो इस बार सीधी नज़रों से काम करते हैं
दुनिया ने टेढ़ा कर दिया तोह क्या उनपर झुलम नहीं करते हैं ,
या छोड़ो ख्यालों तक ही ठीक हैं
हकीकत हो गया तोह शामत आ जाएगी
मन की ख़ुशी जुब्बण पर आयी तोह क़यामत आ जाएगी
अब उसकी नज़रें भी देख रही हैं
लफ़्ज़ों की सहारे की जरुरत नहीं
एक स्पर्श में ही सब क़ुबूल हो चूका
ऐसा ही एहसास हुआ था
हमें पहली बार जब नज़रें मिली थी उस नन्हे फ़रिश्ते से
जी, हाँ प्रेम से प्रेम रख दिया उस नन्हे का नाम
हो गए न आप भी मेरे प्रेम की शक्शियत के गुलाम
जी हाँ , प्रेम हुआ है !
कहने को नन्ही जान
मगर दुनिया के शैतानो की शान ,
उम्र में बीते भी नहीं एक साल
और जनाब की हरकतें बेमिसाल
सबकी जान , मगर इस दीदी से अलग पहचान
दिल के तार से लेकर
दुनिया के सारे कारोबार इन्ही से चलते हैं
हर लम्हा गुज़र रहा इनकी ही तीमारदारी में
मनो मन्न खेल रहा अलग अलग अनुभूतियों की बाज़ारी में
आज भी कोई कह गया
जी , बधाई हो प्रेम हुआ है!!
जी हाँ , प्रेम हुआ है !!

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