“आखिर माँ हैं वो मेरी”

आखिर माँ है वो मेरी मुझे पहचान जातीं हैं…….
मैं बोलूँ या ना बोलूँ कुछ वो सब कुछ जान जातीं हैं,
मेरी खामोशी से ही मुझे वो भाँप लेती हैं,
मेरी बातों से ही मेरी नज़ाकत जान लेती हैं,
भरे दरिया में मेरे अश्को को वो पहचान लेती हैं,
आखिर माँ है वो मेरी मुझे पहचान जातीं हैं……
मेरे हर दर्द को वो दूर से महसूस करती हैं,
मेरी हर हार को भी वो मेरी ही जीत कहती हैं,
मेरे सपनों की महफिल का भी वो सम्मान करती हैं,
मेरे आँखों की पलकों का भी वो ध्यान रखती हैं,
आखिर माँ है वो मेरी मुझे पहचान जातीं हैं……

– Ushesh Tripathi

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