कहाँ था क्या था और क्या हो गया हूँ मैं

कहाँ था क्या था और क्या हो गया हूँ मैं।
इस भीड़ में न जाने कहा खो गया हूँ मैं।।
,
अब मुझको आवाज़ क्यूँ देती है जिंदगी।
जब मौत के आगोश में ही सो गया हूँ मैं।।
@@@@RK@@@@

Related Articles

दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34

जो तुम चिर प्रतीक्षित  सहचर  मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष  तुम्हे  होगा  निश्चय  ही प्रियकर  बात बताता हूँ। तुमसे  पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…

अरमां था ज़िंदगी

अरमां था ज़िंदगी से कभी मुलाकात होगी बिठा पलकों पे कुछ खास बात होगी सोचता था होगी ज़िंदगी मेरी फूलों की तरह निकाले होगी घूँघट…

Responses

New Report

Close