क्या बात करती हो
सुबह सुबह में
इतना चहचहाती हो,
क्या बात करती हो
बताओ ना,
कहीं इंसान की बातों
की कोई बात करती हो,
या मिलने-बिछुड़ने का कोई
जज्बात रखती हो।
बताओ ना।
भूख की प्यास की
आवास की
रोजगार पाने की
बताओ ना कि
क्या क्या बात करती हो।
मुहब्बत की मिलन की
या वफ़ा-बेवफा की
हानि की या नफा की
खुशी की या खफा की,
बताओ ना।
क्या बात करती हो।
सुबह सुबह में
इतना चहचहाती हो,
क्या बात करती हो
बताओ ना,
_________ वाह, लाजवाब अभिव्यक्ति … चिड़ियों की बातों का इतना सुंदर वर्णन किसी भी पाठक के मुख पर मुस्कान लाने में सक्षम है। कवि की नजर है, कहीं भी जा सकती है। अति सुंदर शिल्प और भाव सहित लाजवाब लेखन
अति विशिष्ट रचना वाह
बहुत ही लाजवाब रचना वाह
अतिसुंदर भाव