क्यों कुछ कहते नहीं।
क्यों कुछ कहते नहीं,
सब गूंगे बहरे बैठे हैं ,
सबके भीतर जलती है आग,
फिर क्यों खामोश बैठे हैं,
खो दिया है सम्मान को ,
अपने भीतर के इंसान को,
तभी तो चुप ही रहते हैं,
होती है वारदातें आंखों के सामने ,
फिर क्यों ,आवाज दबाए रहते हैं।
अच्छी
Thank you
सच को कहती बहुत ही सुंदर रचना
बहुत बहुत धन्यवाद
Nice
धन्यवाद
Nice lines
बहुत बहुत धन्यवाद
बहुत ही सुंदर भाव है।
धन्यवाद सर
वाह वाह
धन्यवाद जी
Very nice
Thank you
अतिसुंदर
धन्यवाद 😊