ख़ामोशियाँ

यूँ तो ख़ामोशियों की
कोई ज़ुबान नहीं होती लेकिन…
प्रेम में ख़ामोशियों को समझना
बहुत मायने रखता है l
अगर एक दूजे की ख़ामोशियों को
भी नहीं समझ पाए तो….
लफ्ज़ तो लफ्ज़ हैं,
कितना भी बोलो सब अर्थहीन है॥
______✍गीता

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Responses

  1. कवि गीता जी की लेखनी से निकली बहुत सुंदर काव्य रचना है यह। भाव को सुन्दर शिल्प में गढ़ कर कविता का रूप दिया गया है।

    1. इतनी सुन्दर और प्रेरक समीक्षा के लिए आपका हृदय से धन्यवाद सतीश जी

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