ख़्वाहिश
तू जो मेरी जिंदगी में आयी
मेरी जिंदगी जन्नत हुई ।
ख़्वाहिशे गगन को छू पायीं
पूरी मेरी अधूरी मन्नत हुई।
देखी जो तेरा मुखरा, छूने को जी चाहे
नाजुक तू है इतनी, छूने से क्यूँ घबराये
बर्फ की फुहारो मानिन्द, दाग न लग जाए
तूझपे है हक मेरा, पूरा हुआ जैसे सपना कोई
पूरी मेरी अधूरी मन्नत हुईं ।
कबसे इन्तज़ार था मुझको तेरी
बनेगी तू सबसे अच्छी सहेली मेरी
बोले न तू अभी पर सुन ले बातें मेरी
मिली हो जैसे, छूटी मेरी सहेली कोई
पूरी मेरी अधूरी मन्नत हुईं ।
वाह जी बहुत बहुत सुन्दर रचना 👌
बहुत खूब
बेटी पर बहुत ही सुन्दर रचना
वात्सल्य से परिपूर्ण आपकी रचना