ख्वाहिश ॥।
क्यों रही ख्वाहिश एक लडके की ॥
हमेशा लडकी को कहाँ ॥
कभी चाँद कहाँ तो कभी गुलाब ॥
कभी जलता दिया तो कभी महकती फीजाए॥
चलती पवन तो कभी समुद्र का शाहील ॥
कभी धन लक्ष्मी तो कभी घर की नीव ॥
हर लवज से नबाजा पर क्यो खामोश हैं ॥
जब ख्वाहिश हुई लड़के की ॥
जिन्दा ही मार दिया ॥
न चाँद ,गुलाब ,धन,नीव,
शाहील ,हवा ,दियाँ नजर आया ॥
बस एक ख्वाहिश ॥
मन की बात ॥
रेनू गोयल ॥
aapki vicharsheelta ko pranam hai. bahut sundar.
Good
वाह
Nice
Good