गम-ए-अंजाम हमें इसकदर डूबोते हैं
गम-ए-अंजाम हमें इसकदर डूबोते हैं!
हँसते हुए ख्याल के ख्वाब हरपल रोते हैं!
चलती है जब ज़िन्दगी दर्द की लकीरों पर,
कांपते इरादों को अश्क ही भिगोते हैं!
Composed By #महादेव
गम-ए-अंजाम हमें इसकदर डूबोते हैं!
हँसते हुए ख्याल के ख्वाब हरपल रोते हैं!
चलती है जब ज़िन्दगी दर्द की लकीरों पर,
कांपते इरादों को अश्क ही भिगोते हैं!
Composed By #महादेव
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nice poem mithilesh ji