गोधूलि
ए ढलती गोधूलि के बेला
मन को मोह लेती है
हमारी ख्यालों में नयी
उर्जा भर देती है
हम इसी उर्जे के सहारे
आने वाले कल के हम
बेसब्र से इन्तजार करते हैं
ए क़ाबिल दिल आज हम
अपने जीवन में यह ढलती
गोधूलि को हसीन गोधूलि बना ले
हमारी जीवन में ऐसा बेला बार बार आए ऐसा हम राह अपना लो।
गोधूलि बेला पर बहुत सुन्दर रचना
आपको बहुत बहुत धन्यवाद ।
बहुत ही मनमोहक कविता है आपका
शुक्रिया। आपकी समीक्षा ही मेरे लिए अनमोल तोहफ़ा है।
बहुत सुंदर चित्रण
सुंदर शिल्प और भावाभिव्यक्ति की है आपने
शब्दों का चयन बहुत सलीके से किया गया है
आप सभी के समीक्षा के ही खुबसुरत परिणाम है
धन्यवाद