जिस्म में शामिल रूह का आज खुलासा देखिये

जिस्म में शामिल रूह का आज खुलासा देखिये,
खुद ही इस भीड़ में घुस कर आप तमाशा देखिये,
बदल सकता है तस्वीर जो इस सारे ज़माने की,
उसी युवा के चेहरे पे आई आज हताशा देखिये,
हर दिन लुट रही किसी कटी पतंग सी जो स्त्री,
उसके कोमल से मन पर छाया गहरा कुहासा देखिये,
बहला रहे हैं सपने बड़े मगर झूठे दिखाकर हमको,
कुर्सी पर बैठे अश्लील नेताओं की आप भाषा देखिये।।
राही (अंजाना)
I m picking ur this poem for short hindi recitation competition
Okay good
Nice
Thank you
वाह