जीवन कि परछाई
जीवन की परछाई
जीवन मरण कहानी हैं
सुन्दर छवि अलौकिक
क्या लेकर तुम आये थे
क्या लेकर तुम जाओगे
रिश्ते को निभाते रहना
जीवन की कमाई हैं
धन दौलत सब रह जायेगा
घमण्ड क्यो हैं फिर भाई
शान से जीना सच्चाई पर रहना
यही जीवन की परछाई हैं
सब छुट जायेगा अन्तर्मन से
बस नाम रह जायेगा संसार में
क्यो इतना करना भेद भाव
जब सब कुछ जाना हैं झोडकर
प्यार लुटाओ प्यार करो
नहीं किसी से टकरार करो
महेश गुप्ता जौनपुरी
Good