जो जान लेता है..
जो हमें जानता ही नहीं,
उसे हक है, हमें
अच्छा,बुरा कुछ भी क्रहने का
पर जो हमें जान लेता है,
वो हम पर जान देता है ..
जो हमें जानता ही नहीं,
उसे हक है, हमें
अच्छा,बुरा कुछ भी क्रहने का
पर जो हमें जान लेता है,
वो हम पर जान देता है ..
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यमक अलंकार का सुंदर प्रयोग
Thank you Pragya for your precious compliment.
बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति ।
सच में जो करीब हैं
उन्हें ही हमारी अच्छाइयां नजर आती हैं
दूर जो हैं, उनकी कही हुई बातें कहाँ परेशा कर पाती हैं
कविता में दूर या पास का कोई जिक्र नहीं है मैम सुमन कुमारी जी ।
बात जानने की और ना जानने की कही गई है ।आपने शायद ध्यान से पढ़ा नहीं या फिर समझा ही नहीं।
अतिसुंदर
बहुत बहुत धन्यवाद आपका भाई जी 🙏 सादर आभार
कवि गीता जी की यह एक बेहतरीन रचना है। एक तरफ अनुप्रास का अलंकरण, दूसरी ओर यमक की छटा, भाव भी अतिउत्तम, शिल्प भी लाजवाब।
सधे हुए शब्द, सधी हुई पंक्तियाँ, सुन्दर प्रस्तुतिकरण, सब कुछ उच्चस्तरीय है। यह प्रतिभा सदैव चमकती रहे।
इस सुन्दर समीक्षा के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद सतीश जी ।
इससे ख़ूबसूरत समीक्षा तो इन पंक्तियों की हो ही नहीं सकती थी ।
आपकी समीक्षा शक्ति को सलाम और बहुत बहुत धन्यवाद 🙏
शानदार पंक्तियां वाह
आभार जोशी जी🙏 बहुत बहुत धन्यवाद
वाह वाह, अतिसुन्दर
बहुत बहुत धन्यवाद आपका पीयूष जी 🙏
सादर धन्यवाद आपका मास्टर साहब 🙏