तस्वीरें
कई महीनों बाद
आज अलमारी खोली
तमाम तोहफे मिले
कुछ किताबें और
कुछ पुरानी तस्वीरें भी मिलीं
उन तोहफों को घण्टों देखकर
पुरानी यादें ताजा करती रही
देखती रही मैं अपनी एक-एक तस्वीर को
कितनी खूबसूरत लगती थी मैं
कितनी मासूम हुआ करती थी
अब तो उदास ही रहती हूँ
पहले कितना खुश रहा करती थी
उन तस्वीरों में जो प्रज्ञा थी
वो आज की प्रज्ञा से बिल्कुल जुदा थी…
कुछ तो बात थी उस जमाने में
जो तस्वीरें बयां कर रही थीं..
बहुत ही सुन्दर
बहुत खूब पंक्तियां जितनी तारीफ करूं कम ही है
Beautiful poem
अतिसुंदर