दरिया को हमेशा समंदर की चाहत है।
दरिया को हमेशा समंदर की चाहत है।
नर्म लहज़ा नर्म बातें समझों सियासत है।
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मेरी जिंदगी की दुआ करने वालों शक्रिया।
मुझे तो हर रोज़ मर जाने की आदत है।।
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ख़तावार ही सीखा गए सलीका ए जिंदगी।
सुने की पास उनके अभी नई नई ताक़त है।।
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सच की जुबान मीठी लगें तो हामी भर दो।
वरना जो भी कहूँगा कहोंगे सब खिलाफत है।।
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हर जिंदगी हर जिंदगी से रूबरू नहीं होती।
अब कहाँ रियायत है और कहाँ शराफत है।।
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अबके जो मिलना तो बहुत सोंच समझकर।
साहिल हम पर भी बहुतों की नज़रे इनायत है।।
@@@@RK@@@@
वाह