नहीं गाएंगे
तुम्हारे तानों से
इस महफिल में आना
हमने छोड़ा था
पर किसी ने बार-बार
विनती की तो
हमें आना पड़ा
हमने तो कह दिया था
कि कभी इस महफिल को
नहीं सजाएंगे
अपने गीत इस महफिल में
नहीं गाएंगे
पर किसी के सम्मान ने
मुझे यहां फिर से खड़ा किया और लिखने को मजबूर किया।
अतिसुंदर रचना
धन्यवाद