फिर फिर लुभाता है
विभासव मत जलाना मन
जरा सा ठंड में रहना
मेरे मन को लुभाता है।
नजर जब लालिमा खोजे
उसे तब कालिमा रोके,
अजब का यत्न कलुषित सा
मुझे जी भर डराता है।
तपन में चैन पाना भी
नहीं सीखा पतंगे ने
मगर जलता गरम दीपक
उसे फिर फिर लुभाता है।
अति सुन्दर सृजन