बांधकर बेड़ियों से कोमल पैरों को खींच कर
बांधकर बेड़ियों से कोमल पैरों को खींच कर,
घर की चौखट के बाहर वो कभी जाने नहीं देते,
हिम्मत जो जुटाती है बेटी कोई पढ़ने को,
तो उसके कदमों को आगे कभी वो जाने नहीं देते,
कितने संकुचित मन होते हैं वो,
जो झूठी रस्मों से बाहिर कभी आने नहीं देते।।
राही (अंजाना)
osm
Thank you
Good
अति उत्तम