मधुमास सुहाना आया

मधुमास सुहाना आया है
धरती के आँगन में।
रक्तिम कुसुम सजाया है
प्रकृति के माँगन में।।
दुल्हन -सी है सज गई धरती
अम्बर मौर सजाया।
भ्रमर तितलियाँ बने बराती
पर्वत ढोल बजाया।।
संग मयूरी लेकर मोर
छम-छम नाच दिखाया।
“विनयचंद “भी कोयल बन
स्वागत गान सुनाया।

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