Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
Tags: मुक्तक

Mithilesh Rai
Lives in Varanasi, India
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हमने वहीं लिखा, जो हमने देखा, समझा, जाना, हमपे बीता ।। शायर विकास कुमार 1. खामोश थे, खामोश हैं और खामोश ही रहेंगे तेरी जहां…
गम-ए-अंजाम हमें इसकदर डूबोते हैं
गम-ए-अंजाम हमें इसकदर डूबोते हैं! हँसते हुए ख्याल के ख्वाब हरपल रोते हैं! चलती है जब ज़िन्दगी दर्द की लकीरों पर, कांपते इरादों को अश्क…
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हम भी रोये नहीं मुद्दतें हो गयीं। पत्थरों की तरह आदतें हो गयीं। जबसे बेताज वह बादशाह बन गया, पगड़ियों पर बुरी नीयतें हो गयीं।…
bahut khoob sir!!
nice one 🙂